आइस मैराथन / बैकाल झील जब जम जाती है, तब उस पर यह रेस होती है; इस बार 23 देशों के 127 खिलाड़ी उतरे
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- BAIKAL ICE MARATHON: World biggest lake of clean water freezing, there is a marathon
- पुरुष वर्ग में रूस के एंटोन डोलगोव और महिलाओं में एकेतरिना लिकाशेवा चैम्पियन बनीं
- डोलगोव ने 3 घंटे 5 मिनट 5 सेकंड और लिकाशेवा ने 3 घंटे 49 मिनट 30 सेकंड में की दौड़ पूरी की
- 42 किमी की दौड़ में 97 पुरुष और 30 महिला खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया
Dainik Bhaskar
Mar 26, 2019, 08:10 AM ISTमॉस्को. रूस की बैकाल झील दुनिया में साफ पानी की सबसे बड़ी झील है। यह जब जम जाती है, तब उस पर बैकाल आइस मैराथन होती है। इस बार हुई आइस मैराथन में 23 देशों के 127 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इसमें 97 पुरुष और 30 महिला खिलाड़ी थीं। पुरुष वर्ग में रूस के एंटोन डोलगोव चैम्पियन बने।
आईटी एग्जीक्यूटिव हैं 44 साल के डोलगोव
मॉस्को के आईटी एग्जीक्यूटिव 44 साल के डोलगोव ने 42 किमी की मैराथन पूरी करने में तीन घंटे 5 मिनट 5 सेकंड का समय लिया। वहीं, महिला वर्ग में रूस की ही एकेतरिना लिकाशेवा विजेता बनीं। उन्होंने 3 घंटे 49 मिनट 30 सेकंड में यह आइस मैराथन पूरी की। एकेतरिना ने आखिरी कुछ मीटर की दूरी घुटने के बल पूरी की। इस दौरान उनके पति और बेटे एकेतरिना का हाथ थामे हुए थे। यह बर्फ पर होने वाली दुनिया की सबसे तेज मैराथन है। मैराथन के दिन 10 होवरक्राफ्ट की मदद से सभी खिलाड़ी झील के स्टार्टिंग पॉइंट तक पहुंचते हैं। इसके बाद दौड़ शुरू होती है। यह मैराथन दुनिया की 50 सबसे कठिन रेस में से एक है।
साफ पानी के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए मैराथन
मैराथन के फाउंडर एलेक्से पी निकिफोरोव ने बताया, ’बैकाल झील को यूनेस्को ने वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिया है। दुनिया में पीने के साफ पानी की काफी समस्या है। हमने साफ पानी के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 2005 में आइस मैराथन शुरू करने का फैसला किया था।’
ब्रिटेन के एथलीट ने जींस और चमड़े के जूते पहनकर बर्फ पर मैराथन पूरी की
ब्रिटेन के पीटर मेसेरवी ग्रोस ने मंगोलिया की जमी झील पर 100 मील की दौड़ पूरी की। लेकिन पीटर को यह दौड़ जींस और चमड़े के जूते पहनकर पूरी करनी पड़ी। दरअसल, पीटर ने इस मैराथन में हिस्सा लेने के लिए कुछ महीने पहले स्पेशल किट बनवाई थी। उन्होंने मंगोल-100 नाम की मैराथन में हिस्सा लेने के लिए लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट से मंगोलिया के उलानबटार के लिए उड़ान भरी। लेकिन उनका किट बैग एयरपोर्ट पर ही छूट गया। अब उनके पास किट नहीं थी। उनके जूते का साइज 13 है। लेकिन मंगोलिया में 11 साइज से बड़े जूते नहीं मिलते। इसलिए वे अपने साइज के जूते नहीं ले पाए। तब उन्होंने जींस और चमड़े के जूते पहनकर ही माइनस 25 डिग्री में मैराथन पूरी की।